जो लोग साधना मार्ग पर आते हैं उन्हें सिखाया जाता है कि आप स्वांस को नाभि से लेना और छोड़ना प्रारंभ करें. अब बड़ी मुश्किल यह है कि चिकित्सा विज्ञान कहता है कि फेफड़े से सांस लो और छोड़ो. चिकित्सा विज्ञान ही नहीं आसन प्राणायाम में भी फेफड़ों से स्वांस को लेना और छोड़ना सिखाया जाता है. (कुछ प्राणायम छोड़कर). फिर साधना मार्ग पर स्वांस को नाभि पर केन्द्रित करने का क्या तुक है?
नाभि समस्त जीवन चक्र का आधार है. ध्यान रखिए मैं जीवन नहीं बल्कि जीवन चक्र की बात कर रहा हूं. इसलिए साधना मार्ग पर जो साधक आते हैं उन्हें कहा जाता है कि वे नाभि चक्र पर अपने स्वांस को केन्द्रित करें. इसका गहरा अर्थ यह होता है कि जब शिक्षक आपको नाभि पर स्वांस को केन्द्रित करने के लिए कहता है तो वह आपको आपके जीवन चक्र के साथ जोड़ने की कला सिखाता है.
अब…
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